भोजपुरी कविता- राजनीति होखे के चाही |
भोजपुरी कविता- राजनीति होखे के चाही |
केहु मरे चाहे जिये राजनीति होखे के चाही |
केहु आबरू लूट जाये राजनीति होखे के चाही |
औरत ना ई खिलौना हई जब चाहे खेल ला |
जान ना जाए केहु मऊत के मुंह धकेल दा |
इनकर इज्जत जाये राजनीति होखे के चाही |
बेटी भईली का भइल कुल क मर्यादा बाड़ी |
माई बाप क दुलार पूचकार उ जयादा बाड़ी |
नाम नीलाम हो जाये राजनीति होखे के चाही |
समाज आज कहा से कहा आ गईल भईया |
देवी जस नारी दुशमन महा हो गईल दईया |
दूरदसा नारी हो जाये राजनीति होखे के चाही |
खिसकल जमीन आपन पाये के मौका मिलल |
नाम मीडिया मे खूब चमकावे के चौका लगल |
न्याय नारी उफर जाय राजनीति होखे के चाही |
बलात्कार भइल की अत्याचार पहीले जान ला |
भड़के ना कही दंगा जात पांत बात मान ला |
देश संपत्ति लूटे चाहे टूटे राजनीति होखे के चाही |
श्याम कुँवर भारती (राजभर)
कवि /लेखक /गीतकार /समाजसेवी
बोकारो झारखंड मोब -9955509286
सुन्दर अभिव्यक्ति
haardik aabhar baa
मार्मिक भाव
pandit ji aabhaar baa
मार्मिक भाव की सुंदर प्रस्तुति
haardik aabhaar apkaa geeta ji
Nice and true
many many thanks to you prgyaa ji