मजदूरो के बच्चे

मेरे घर के सामने
मजदूरो का जमावड़ा लगा था
ईंटो का ढेर बड़ा था
शायद कोई बंगला बन रहा था.

कोई मजदूर ईंटे ढो रहा था
कोई दीवार चिन रहा था
हर मजदूर काम मे लगा था
बच्चों की कोई परवाह नहीं कर रहा था.

हम अपने बच्चों को
धूल भी नहीं लगने देते है
और मजदूरो के बच्चे देखो
किस तरहा मिटटी मे लेटे है.

मिटटी उड़ा उड़ा कर
खेल रहे है मजदूरों के बच्चे
सब अपने कर्मो का खाते
ये कहते है हम वचन सच्चे

गाढ़ा पसीना बहाया
अपने परिवार के लिए कमाया
शाम को खरोंच भरे हाथों से
बच्चे को गोद मे उठाया.

म से मिटटी म से मजदूर
नाता मिटटी से गहरा है
कितना शोर मचा ले बेचारे
ना सुनेगा उनकी, समाज हमारा बहरा है.

Related Articles

दुर्योधन कब मिट पाया:भाग-34

जो तुम चिर प्रतीक्षित  सहचर  मैं ये ज्ञात कराता हूँ, हर्ष  तुम्हे  होगा  निश्चय  ही प्रियकर  बात बताता हूँ। तुमसे  पहले तेरे शत्रु का शीश विच्छेदन कर धड़ से, कटे मुंड अर्पित करता…

प्यार अंधा होता है (Love Is Blind) सत्य पर आधारित Full Story

वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ। निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा॥ Anu Mehta’s Dairy About me परिचय (Introduction) नमस्‍कार दोस्‍तो, मेरा नाम अनु मेहता है। मैं…

Responses

+

New Report

Close