मनु
मनु
मनु तू दौड़ता रह निरंतर
गलत, सही का कर अंतर
ठोकरें मिलेंगी अनन्तर
गिर, उठ फिर चल निरंतर
मनु तू कौशिश कर निरंतर
हार जीत में ना कर अंतर
मौक़े और मिलेंगे अनन्तर
हिम्मत रख जीतेगा निरंतर
मनु तू विश्वास रख निरंतर
खुशी, दु:ख में ना कर अंतर
दुनियां का दायरा है अनन्तर
दु:ख के बाद खुशियां निरंतर
मनु तू मानव ही रह निरंतर
अमानवीयता में कर अंतर
सत्य, कर्म पथ है अनन्तर
उसी पर चलता रहा निरंतर
राकेश सक्सेना बून्दी राजस्थान
9928305806
Bahut hi umda
धन्यवाद् 🙏
Welcome
मनु तू कौशिश कर निरंतर
हार जीत में ना कर अंतर
मौक़े और मिलेंगे अनन्तर
हिम्मत रख जीतेगा निरंतर
_________मनुष्य की हिम्मत को बढ़ाती हुई, संदर भाव और सुंदर शिल्प सहित बहुत ही प्रेरक और सुंदर रचना।
धन्यवाद 🙏
उम्दा समीक्षा
वाह