Categories: हिन्दी-उर्दू कविता
Tags: संपादक की पसंद
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शायरी संग्रह भाग 2 ।।
हमने वहीं लिखा, जो हमने देखा, समझा, जाना, हमपे बीता ।। शायर विकास कुमार 1. खामोश थे, खामोश हैं और खामोश ही रहेंगे तेरी जहां…
हाथ की रेखाएं न बदनाम कर डालो
हाथ की रेखाएं न बदनाम कर डालो कुछ नज़र अपने करम पर भी डालो तेरा वज़ूद खड़ा एक गुनहगार सा क्या हर्ज़ खुद को कातिल…
आपका प्यारा बच्चा
माँ मैं फिर जीना चाहती हूँ, आपका प्यारा बच्चा बनकर, माँ मैं फिर सोना चाहती हूँ, आपकी गोद का झूला लेकर, माँ मैं फिर से…
मैं बस्तर हूँ
दुनियाँ का कोई कानून चलता नहीं। रौशनी का दिया कोई जलता नहीं। कोशिशें अमन की दफन हो गयी हर मुद्दे पे बंदूक चलन हो गयी॥…
पथिक
मीलों का पथ, पथरीला भी पथिक हूं मैं भी, चल दूंगा। सारे मौसम शुष्क रहे क्यों बादल हूं मैं, बदल दूंगा। भीष्म बनो तुम, कर्ण…
बहुत खूब
बहुत बहुत धन्यवाद प्रज्ञा जी
वाह सर अति उत्तम पंक्तियाँ, अति उत्तम विचार
बहुत बहुत धन्यवाद जी
बहुत ही सुन्दर कविता और सुंदर अभिव्यक्ति..
बहुत बहुत धन्यवाद, सादर अभिवादन गीता जी
बहुत शानदार कविता waah
Thank you
भुने चने की उपमा अतुलनीय है
बहुत बहुत धन्यवाद जी
बहुत सुंदर कविता,
सादर धन्यवाद जी
अतिसुंदर
सादर धन्यवाद जी
सुन्दर पंक्तियां