मुस्कुराओ अन्यथा हम रुष्ठ हैं
मारकर फूल मत समझो
कि हम संतुष्ट हैं।
मुस्कुराओ अन्यथा हम रुष्ठ हैं।
क्या करें मासूमियत से आपकी,
ये चिढ़ाते नैन क्या कम दुष्ट हैं।
मारकर फूल मत समझो
कि हम संतुष्ट हैं।
मुस्कुराओ अन्यथा हम रुष्ठ हैं।
क्या करें मासूमियत से आपकी,
ये चिढ़ाते नैन क्या कम दुष्ट हैं।
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Wow, very nice sir
Typing mistake रुष्ठ के स्थान पर रुष्ट पढ़ने की कृपा करेंगे। धन्यवाद
अति सुन्दर प्रस्तुति..
आपकी सुन्दर टिप्पणी हेतु अभिवादन
“नैन क्या कम दुष्ट हैं” वाह सर वाह खूब अच्छा
नैन हीं है जो नाम से बदनाम करते हैं,
मत गिरो किसी की नजरों में
वरना घरवाले भी
सूरज की रोशनी में
पहचानने से इनकार करते हैं
ऋषि जी, आपने इतनी सुंदर समीक्षा की है, आपको बहुत बहुत धन्यवाद, आपका स्नेह यूँ ही बना रहे।
बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति।
सादर धन्यवाद अमित जी
ध्वन्यात्मक साम्य का प्रयोग काबिले तारीफ
है और क्या कहूँ…
बहुत बहुत धन्यवाद प्रज्ञा जी, आपकी सुन्दर टिप्पणी और पारखी समीक्षा से मन हर्षित है।
आभार
अतिसुंदर भाव
सादर धन्यवाद आदरणीय शास्त्री जी, आपका स्नेह व आशिर्वाद सदैव बना रहे।
जबरदस्त
Thanks
Very good
Thanks
बहुत खूब
Thank You Ji
very nice
बहुत बहुत धन्यवाद
बहुत सुन्दर
बहुत बहुत धन्यवाद
सुन्दर
सुन्दर टिप्पणी हेतु सादर धन्यवाद सुमन जी