रश्मि

धुंधलेधुंधले कोहरे में छिपती

रवि से दूर भागती

एकरश्मि

अचानक टकरा गयी मुझसे

आलोक फैल गया भव में ऐसे

उग गये हो सैकडो रवि नभ मे जैसे

सतरंगी रश्मियों से

नभ सतरंगा सा हो गया

सैकडो इन्द्रधनुष फैल गये नभ में

पलभर में कोहरा कहीं विलीन हो गया

विलीन हो गयी वोरश्मिभी

रवि के फैले आलोक में 

ढूंढ रहा हूं तब से में

उसरश्मिको

जो खो गयी दिन के उजाले में

जाने कहां गुम हो गयी

मेरी वोरश्मि

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