Categories: हिन्दी-उर्दू कविता
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घर-घर लंका, पग-पग रावण, इतने राम कहां से लाऊं”
आज-कल के माहौल के बारे में यथार्थ पंक्तियां…
वाह बहुत खूब दी…
धन्यवाद
Welcome dear
सुन्दर रचना, बहुत खूब
धन्यवाद
धन्यवाद
सुन्दर अभिव्यक्ति
धन्यवाद
Khubsurat
Thanks
विचार तो अच्छी है।
Thanks sir
सुन्दर
Tq