विवाहित व्यक्ति की शिकायत का अंदाज़..
…….. हास्य- रचना..
विवाहित व्यक्ति, पत्नी से शिकायत करे यूं,
क्या कमाल की सब्जी बनाई है, लव यू ।
बस, नमक थोड़ा सा ज्यादा है,
सुनो, आज तुम्हारा क्या इरादा है ।
मेहमान आएं तो यही सब्जी बनाना,
बस, थोड़ा सा इसको और ज्यादा पकाना ।
हां, प्याज़, अदरक थोड़ा कम ही मिलाना,
उसे कौन सा बिल दे के है जाना ।
तड़का तो कमाल का लगा है जी,
लगता है कड़ाही का तला खराब है जी।
जलने की गंध से, छुटकारा पाएंगे,
कल ही एक नई कड़ाही लाएंगे ।
अच्छा किया जो तुमने छीले ना आलू ,
छिलके में ही तो सारे गुण बसे हैं शालू ।
अभी फ्रिज में रख दो ये सब्जी ,
कल फिर से खाएंगे, तुम कर लेना थोड़ी मस्ती ।
सुनो, ये सब्जी अब कभी बनाना नहीं
नज़र ना लग जाए तुमको कहीं ।
वाह गीता जी। रचना बेहतरीन रंगों रंगा है।
शुक्रिया चंद्रा जी 🙏आपकी वाह से उत्साह बढ़ा ।
समीक्षा के लिए बहुत बहुत धन्यवाद आपका प्रद्दुमन सर🙏
क्या बात है, वाह वाह
शानदार रचना
समीक्षा के लिए बहुत बहुत शुक्रिया पीयूष जी 🙏
बहुत ही लाजबाब रचना है। दैनिक वार्तालाप को हास्यपुट देकर बेहतरीन रचना की सृष्टि की है। आपकी लेखनी जीवन के हर छोर को कवर करती है। जीवन के लिए हंसी एक औषधि की तरह है, हास्य रचना प्रस्तुत करने हेतु आप धन्यवाद की पात्र हैं। यूँ ही प्रखरता से लिखती रहें। keep it up
समीक्षा के लिए बहुत बहुत धन्यवाद आपका सतीश जी।🙏
आपकी समीक्षाएं मुझे लेखन क्षेत्र में बहुत प्रेरणा और नई ऊर्जा प्रदान करती हैं। सावन पे माहौल कुछ गमगीन सा था🤭 ..तो सोचा थोड़ा हंस लिया जाए।
अतिसुंदर रचना
जीजाजी के मन की सुना दी बहना।
हाहाहा, ऐसा नहीं है भाई साहब, में तो बहुत अच्छी सब्जी बनाती हूं।
समीक्षा के लिए बहुत बहुत धन्यवाद आपका 🙏
मैने भी तो सिर्फ तुकबन्दी की है। उपालंभ नहीं।
🙏🙏.. आप बड़े भाई हैं, कह सकते हैं।
बढ़िया, बहुत खूब, वाह
बहुत बहुत धन्यवाद सर 🙏
बहुत ही सुंदर गीता जी, wow
Thank you very much Kamla ji 🙏
हाहाहा..
मजा आ गया
तुम्हारा भाव ही तो मेरे लिए समीक्षा है।
हास्यप्रद, उम्दा दीदी
धन्यवाद प्रज्ञा…. हास्य रचना में तुम्हें हंसी आ गई बस,मेरा प्रयास सफल हो गया। बहुत सुंदर समीक्षा की है तुमने। Thank you dear.
अरे! समीक्षा और मैं असंभव
बस भाव व्यक्त किया है दी…