शब्द-सुनहरे
एक दौर वो भी गुजरा है!
जब हम कागज और कलम
लेकर सोते थे।
यादों में पल-पल भीगा
करती थीं पलकें ,
अभिव्यक्ति के शब्द
सुनहरे होते थे।
ना दूर कभी जाने की
कसमें खाई थीं
मिलने के अक्सर वादे
होते रहते थे।
कोई यूं ही कवि
नहीं बनता है यह सच है
हम भी तो पहले
कितना हंसते रहते थे।
सुंदर
धन्यवाद आपका
सुन्दर स्वाभविक अभिव्यक्ति
आभार
Wah kya bt likhi h
Thank u
Good
Thank you
सुन्दर
Thank u
वाह हम भी।कभी हंसते रहते थे
Thank u
स्वागत है आपका