सच्ची दिशाओं में मोड़ो
कहना सरल होता है
निभाना कठिन,
अगर ठान लो तो
नहीं कुछ कठिन।
केवल कहो मत
कर्म करते रहो
रुको मत कहीं पर
चलते रहो।
किसी का बुरा मत
सोचो कभी भी,
इज्जत बराबर
करो तुम सभी की।
टूटे को जोड़ो,
किसी को न तोड़ो,
जिन्दगी को सच्ची
दिशाओं में मोड़ो।
निगाहों में पानी
भावों में नरमी,
रख लो, रहो खुश
निराशा को छोड़ो।
बहुत ही बढ़िया रचना
अत्युत्तम रचना
टूटे को जोड़ो,
किसी को न तोड़ो,
जिन्दगी को सच्ची
दिशाओं में मोड़ो।
जय राम जी की
किसी को न तोड़ो,
जिन्दगी को सच्ची
दिशाओं में मोड़ो।…
रख लो, रहो खुश
निराशा को छोड़ो।
…….. कवि सतीश जी की कलम से निकली, बहुत सुंदर पंक्तियां सत्य ही कहा है जिंदगी में निराशा को छोड़ जिंदगी को आशाओं की तरफ मोड़ना चाहिए जीवन दर्शन से जुड़ी हुई यथार्थ रचना लाजवाब अभिव्यक्ति , उत्तम लेखन
अतिसुंदर अभिव्यक्ति