Categories: हिन्दी-उर्दू कविता
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फेल रिजल्ट
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शीर्षक ही लाजवाब है कविता की तो बात छोंड़ो
Thank you very much dear
कभी कभी किसी सीधे इंसान को तंग करना अच्छा लगता है वैसे जो कहा था सच था पर आपके मेरे बीच ही रहेगा
बहुत बढ़िया
बहुत बहुत धन्यवाद जी
यथार्थ परक सुन्दर अभिव्यक्ति
बहुत बहुत धन्यवाद जी 🙏
आजकल “पहले पेट पूजा ,फिर काम दूजा” का सिद्धांत चलता है
हवन के नाम पर केवल ठगी चलती है अतिसुंदर अभिव्यक्ति
जी बिल्कुल।
समीक्षा के लिए बहुत बहुत धन्यवाद 🙏
सतयुग में ऋषि – मुनि करते थे हवन,
ताकि, ना रहें कीटाणु, शुद्ध हो वातावरण ।
कलियुग में ऋषि – मुनियों का भेष बनाकर,
बैठे हैं कुछ पाखंडी…………………..
बहुत ही सत्य लिखा है आपने गीता जी, कवि की नजर सदैव आडंबरों की विरोधी होती है। सच्चा कवि वही है जो सच की आग जगाये। आपकी पंक्तियाँ यथार्थ पर आधारित हैं । जय हो
समीक्षा के लिए बहुत बहुत शुक्रिया आपका 🙏 मैं कभी कभी निजी जीवन में भी सच बोल देती हूं,जो कि कुछ लोगों को बुरा भी लग जाता है…
आपकी प्रेरणा k लिए बहुत बहुत आभार 🙏
बहुत खूब, इस सच्ची लेखनी की जितनी भी तारीफ की जाये वह कम है।
बहुत बहुत शुक्रिया सर🙏
कमाल का लेखन
बहुत बहुत आभार सहित धन्यवाद आपका चंद्रा जी 🙏
बहुत अच्छा लिखा है, वाह
बहुत बहुत धन्यवाद 🙏
Geeta mam aap great ho
OMG Thank you very much Isha ji
Very very nice poem
बहुत बहुत धन्यवाद जी 🙏
यथार्थवाद से पूर्ण रचना
सुन्दर समीक्षा हेतु हार्दिक धन्यवाद भाई जी🙏
आपकी लेखनी को शत-शत बार प्रणाम
बहुत ही ही मार्मिक ढंग से आपने अपने शब्दों में
वह कहां जो देश के प्रधानमंत्री
वातावरण के संबंध में आज कह रहे हैं
बहुत बहुत धन्यवाद आपका ऋषि जी 🙏
Waah Waah
Thanks allot Indu ji.