सतयुग और कलियुग

सतयुग में ऋषि – मुनि करते थे हवन,
ताकि, ना रहें कीटाणु, शुद्ध हो वातावरण ।
कलियुग में ऋषि – मुनियों का भेष बनाकर,
बैठे हैं कुछ पाखंडी…………………..
इनसे बचकर रहना मनुज, जाग सके तो जाग,
हवन, पूजा कुछ आता नहीं, बस लगवालो आग ..

Related Articles

दुर्योधन कब मिट पाया:भाग-34

जो तुम चिर प्रतीक्षित  सहचर  मैं ये ज्ञात कराता हूँ, हर्ष  तुम्हे  होगा  निश्चय  ही प्रियकर  बात बताता हूँ। तुमसे  पहले तेरे शत्रु का शीश विच्छेदन कर धड़ से, कटे मुंड अर्पित करता…

फेल रिजल्ट

कविता -फेल रिजल्ट —————————- आज सारे, ख्वाब टूट गए, कभी सोचते थें, जो बैठ टहल कर, वो आज सारे ख्वाब टूट गए, मत भरोसा करो,…

Responses

      1. कभी कभी किसी सीधे इंसान को तंग करना अच्छा लगता है वैसे जो कहा था सच था पर आपके मेरे बीच ही रहेगा

  1. आजकल “पहले पेट पूजा ,फिर काम दूजा” का सिद्धांत चलता है
    हवन के नाम पर केवल ठगी चलती है अतिसुंदर अभिव्यक्ति

  2. सतयुग में ऋषि – मुनि करते थे हवन,
    ताकि, ना रहें कीटाणु, शुद्ध हो वातावरण ।
    कलियुग में ऋषि – मुनियों का भेष बनाकर,
    बैठे हैं कुछ पाखंडी…………………..
    बहुत ही सत्य लिखा है आपने गीता जी, कवि की नजर सदैव आडंबरों की विरोधी होती है। सच्चा कवि वही है जो सच की आग जगाये। आपकी पंक्तियाँ यथार्थ पर आधारित हैं । जय हो

    1. समीक्षा के लिए बहुत बहुत शुक्रिया आपका 🙏 मैं कभी कभी निजी जीवन में भी सच बोल देती हूं,जो कि कुछ लोगों को बुरा भी लग जाता है…

  3. बहुत खूब, इस सच्ची लेखनी की जितनी भी तारीफ की जाये वह कम है।

  4. आपकी लेखनी को शत-शत बार प्रणाम
    बहुत ही ही मार्मिक ढंग से आपने अपने शब्दों में
    वह कहां जो देश के प्रधानमंत्री
    वातावरण के संबंध में आज कह रहे हैं

+

New Report

Close