सुख
केवल आकार का अंतर होता है
आग की लपट और चिंगारी में
परन्तु समान होता हैं उनका ताप और गुणधर्म
उसी प्रकार सुख भी
चाहे छोटा हो या बड़ा,
हो क्षणिक या दीर्घकालिक,
उसकी प्रकृति में आनन्द ही होता है..!!
महान सुख की लालसा के वशीभूत मानव
तिलांजलि दे देता है अनेको छोटे सुखों की
और जब जीवन की साँझ में
पलटता है ज़िन्दगी की किताब के पन्ने
तो पाता है पश्चतापों की अनगिनत कहानियाँ
©अनु उर्मिल ‘अनुवाद’
(11/04/2021)
अतिसुंदर भाव पूर्ण रचना
बहुत सुंदर
Great poem
Jay Ram jee ki
बहुत खूब लिखा है आपने
Very good
Bahut hi Sundar bhav