हर दिन हम अच्छे होते जायेंगे
हर दिन हम अच्छे होते जायेंगे
बहुत लगाए बाड़ काटों के
अब फूल से कोमल होते जायेंगे
गलत स्पर्धा में हमें नहीं पड़ना
मुरझाये चेहरे अब नहीं गढ़ना
हर चेहरे को सच्ची हंसी से सजायेंगे …
औरों की चीजें बहुत ही भाई
पर मेहनत से घर खूब सजाई
निज मेहनत से हर घर को मह्कायेंगे …
आलसी बन अब हमें नहीं जीना
औरों की गलतियां नहीं सीना
हरी भरी वही धरा फिर वापस लाएंगे …
हर दिन हम अच्छे होते जायेंगे
बहुत लगाए बाड़ काटों के
अब फूल से कोमल होते जायेंगे
बहुत सुंदर कविता, सराहनीय प्रस्तुति
साभार धन्यवाद्
अति उत्तम रचना, लाजवाब सोच
साभार धन्यवाद्
बहुत सुंदर
बहुत खूब