हे हनुमान

मंगल मूर्ति हे हनुमान
बारम्बार तुम्हें प्रणाम
तुझसे संभव सारे काम
कष्ट हटे मन को आराम

सेवा का संचार तुम्हीं हो
जग का सद्व्यवहार तुम्हीं हो
श्रृजन का आधार तुम्हीं हो
हर जन का आभार तुम्हीं हो

संभव सब जब है तेरा सहारा
मेरा हितैषी तूं ही मेरा सहारा
जपता रहूं तुम्हें हर सुबह हर शाम
इतना रहे प्रभु बस हमपे ध्यान

Related Articles

दुर्योधन कब मिट पाया:भाग-34

जो तुम चिर प्रतीक्षित  सहचर  मैं ये ज्ञात कराता हूँ, हर्ष  तुम्हे  होगा  निश्चय  ही प्रियकर  बात बताता हूँ। तुमसे  पहले तेरे शत्रु का शीश विच्छेदन कर धड़ से, कटे मुंड अर्पित करता…

हम दीन-दुःखी, निर्बल, असहाय, प्रभु! माया के अधीन है ।।

हम दीन-दुखी, निर्बल, असहाय, प्रभु माया के अधीन है । प्रभु तुम दीनदयाल, दीनानाथ, दुखभंजन आदि प्रभु तेरो नाम है । हम माया के दासी,…

Responses

+

New Report

Close