Categories: हिन्दी-उर्दू कविता
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होली
बजे ढोलक,बजे नगमे मचे हुड़दंग होली में रंगी धरती, रंगा अंबर उड़े है रंग होली में । कोई गुब्बारे से खेले तो कोई मारे पिचकारी…
दुर्योधन कब मिट पाया:भाग-34
जो तुम चिर प्रतीक्षित सहचर मैं ये ज्ञात कराता हूँ, हर्ष तुम्हे होगा निश्चय ही प्रियकर बात बताता हूँ। तुमसे पहले तेरे शत्रु का शीश विच्छेदन कर धड़ से, कटे मुंड अर्पित करता…
मारी नहीं पिचकारी(होली पर )
गाली न दे मुझे आली नहीं मारी तुझे पिचकारी मैंने मारी नहीं पिचकारी, भर कर रंग, चला कुंज गलियन, मारी नहीं पिचकारी। शायद तुझको भूल…
मोर रंग दे बसंती चोला, दाई रंग दे बसंती चोला
ये माटी के खातिर होगे, वीर नारायण बलिदानी जी। ये माटी के खातिर मिट गे , गुर बालक दास ज्ञानी जी॥ आज उही माटी ह…
आई सुहानी होली
देखो आई सुहानी होली। कैसी रंगों की रंगी रंगोली।। कण-कण में नया उल्लास है। आज धरती बनी रे खास है।। लाओ रंगों की भर-भर झोली।…
Nice
Ok
Good
अभिवादन
Go
शुक्रिया
Dh
धन्यवाद
Good
Dhanywaadm
Good
Wah
👌👌👌