“ग़ज़ल होती है”

ღღ_महबूब से मिलने की, हर तारीख़ ग़ज़ल होती है;
महफ़िल में उनके हुस्न की, तारीफ़ ग़ज़ल होती है!
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ग़ज़ल होती है महबूब की, बोली हुई हर बात;
आशिक के हर ख्वाब की, तकदीर ग़ज़ल होती है!
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गर आज़माओ तो ज़ंजीर से, मज़बूत है ग़ज़ल;
तोड़ना हो तो विश्वास से, बारीक़ ग़ज़ल होती है!
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आशिक़ के दिल की आह भी, होती है इक ग़ज़ल;
कहते हैं कि मोहब्बत की, तासीर ग़ज़ल होती है!
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‘अक्स’, कलमकार की कलम का, तावीज़ है ग़ज़ल;
अग़र नाम हो जाये, तो हर नाचीज़ ग़ज़ल होती है!!….#अक्स

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