जश्न-ए-आजादी में “इन भारतीयों” को न भूलना…
यहाँ जिस्म ढकने की जद्दोजहद में…
मरते हैं लाखों..कफ़न सीते सीते…
जरा गौर से उनके चेहरों को देखो…
हँसते हैं कैसे जहर पीते पीते…
वो अपने हक से मुखातिब नहीं हैं…
नहीं बात ऐसी जरा भी नहीं है…
उन्हें ऐसे जीने की आदत पड़ी है…
यहाँ जिन्दगी सौ बरस जीते जीते…
कल देश में हर जगह जश्न होगा…
वादे तुम्हारे समां बांध देंगे…
मगर मुफलिसों की बड़ी भीड़ कल भी…
खड़ी ही रहेगी तपन सहते सहते…
-सोनित
nice poem sonit ji
thank you Ajay.
वाह बहुत सुंदर
Good
वाह वाह
Good