Categories: मुक्तक
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पर्यावरण है धरा का आभूषण ,इसको खूब सजाओ
पर्यावरण है जीवन हम सब का ,आओ इसका सम्मान करें क्यों बिगड़ रहे हालात ,इस बात का ध्यान करें हरियाली क्यों ख़त्म हो रही ,धधक…
मृत टहनियाँ
वो टहनियाँ जो हरे भरे पेड़ों से लगे हो कर भी सूखी रह जाती है जिनपे न बौर आती है न पात आती है आज…
पर्यावरण
पर्यावरण के असंतुलन की तस्वीर हर ओर दिखने लगी है जिंदगी जीने की एक नई परिभाषा चहुं ओर लिखने लगी है विकट गर्मी का परिणाम…
प्रकृति और पर्यावरण
प्रकृति और पर्यावरण मानव आज हो रहा है, आज स्वार्थ प्रधान प्रकृति और पर्यावरण का, नहीं है किसी को ध्यान प्रकृति ही देती है सबको,…
पर्यावरण क्या है
कविता-पर्यावरण है क्या ——————————- सभी सुनो, पर्यावरण है क्या, क्या इसकी परिभाषा है, प्रत्यक्ष अप्रत्यक्ष रूप से, जीव जंतु मानव – जिससे प्रभावित हो, उसी…
Nice
थैंक्स
वाह
🙏
👌👌