सावन में…

सावन की एक-एक बूंद
कैसा एहसास दिलाती है?
कोपलें भी फूटते लगती हैं….
पत्तियां नाचती हैं सावन में
और पुष्प आपस में
सौंदर्य की बातें करते हैं
सब मगन होते हैं सावन में….
जब बरसात होती है
और सभी के घर, गलियां
उपवन, बरसात में भीगते हैं….
मन मयूर-सा नाच उठता है
और गुनगुनाता है कोई-साज….
मेरा मन भी याद करता है
तुम्हारे साथ बिताए गए
पलों को सावन में….

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Responses

      1. इस कविता के तुरंत बाद एक कविता है उसके बाद आज ही

    1. आप समझ नहीं रहे उसमें वर्तनी गलत थी इसलिए दोबारा पोस्ट किया है।
      पर यहाँ पर दो एक बार ही है, उससे क्या फर्क पड़ता है।
      एक कविता को कई बार पोस्ट किया जा सकता है एक ही दिन में।
      बस प्रकाशित एक बार होनी चाहिए। एक बार प्रकाशित हो चुकी कविता को दोबारा डालना गुनाह है लेकिन एक ही कविता को एडिट करके बार-बार डालना गुनाह नहीं है।

      1. गुनाह की कोई बात ही नहीं है, एक कविता एक ही बार आये तो अच्छा लगता है, बाकी कुछ नहीं, कुछ वर्तनीगत अशुद्धियाँ हो ही जाती हैं, यदि दूसरी शुद्ध करके सब्मिट हो गयी तो अशुद्धि वाली को डिलीट करने का ऑप्शन है शायद, तभी कहा, बाकी तो सबकी अपनी अपनी इच्छा, माफ़ कर दीजियेगा

      2. नहीं सर,
        इस पेज पर अशुद्धि वाली कविता मैंने तुरंत डिलीट कर दी थी और शुद्ध कविता ही प्रकाशित की है। जब भी
        मुझसे अशुद्धियां होती हैं तो मैं कविता को शुद्ध करके ही डालता हूं और अशुद्धि वाली कविता को डिलीट कर देता हूं मेरी कोई भी कविता दो बार नहीं पड़ी होती है।सुझाव के लिए धन्यवाद

  1. सावन की सुन्दर अभिव्यक्ति की है आपने
    बहुत अच्छा लिखा है।👏👏

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