:कुछ पल

कविता :कुछ पल
नीला आकाश ,आकाश में उड़ते पंक्षी
सागर की लहरें ,लहरों पर चलती नाव
रिमझिम बरसता पानी ,वो ओस की बूंदे
मानो सब कुछ कह देती हों
ऐसा लगता है रख लूँ ,समेट लूँ सबको अपने पास
कहीं खो न जायें डरता हूँ ,बहुत किस्मत से मिलते हैं ये पल
कभी कभी लगता है इन पलों में ऐसे खो जाऊँ
किसी भी चीज की रहे न कोई खबर
सचमुच कितने सुहाने होते हैं ये पल
ये पल कितने अपने होते हैं
कितनी ख़ामोशी होती है इन पलों में
फिर भी मानो कुछ कह देते हैं
बंद लवों से सब कुछ बयां कर देते हैं
ये पल

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