शायरी (जाने माने)

जिन्हें समझते थे हम औरों से अलग,
वो भी आज, ज़माने से निकले।
जिनसे थी हमें चन्द खुशियों की आरज़ू,
वो भी आज ,दर्द के जाने माने से निकले।

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