कविता- ज्ञान दाता |
शिक्षक दिवस की हार्दिक बधाई |
कविता- ज्ञान दाता |
ज्ञान दाता विज्ञान दाता तुम ही हो |
हे गुरु प्रकाश दाता मुक्ति दाता तुम ही हो |
जीवन मे अंधेरा बहुत था तुमसे पहले|
था घना कोहरा तुम्हारी दृस्टी से पहले |
मूल्य कुछ भी न था मेरा संसार मे |
खा रही थी हिचकोले नाव मजधार मे |
देवता मेरे माता पिता तुम ही हो |
उससे पहले माँ मेरी गुरु बन गई |
मेरे अवगुण दूर करने की ठन गई|
गिरना उठना चलना बोलना सिखा |
कौन क्या बताया बचपन गोद मे बिता |
मुझ अज्ञानी चरण धूल दाता तुम ही हो |
शिक्षक गर जहा मे न होते |
हर तरफ मूढ़ अज्ञानी भटक रहे होते |
गुरु की महिमा अद्द्भुत अनमोल है |
गुरुबीन जीवन अधूरा सत्य बचन बोल है |
समाज सुधारक राष्ट्र निर्माता तुम ही हो |
हे गुरु प्रकाश दाता मुक्ति दाता तुम ही हो |
श्याम कुँवर भारती (राजभर)
कवि /लेखक /गीतकार /समाजसेवी
बोकारो झारखंड मोब -9955509286
दृष्टि,
गुरु बिन
बहुत सुंदर भाव
धन्यवाद
अतिसुंदर भाव
हार्दिक आभार आपका
सुन्दर प्रस्तुति
हार्दिक आभार आपका
वक्त सिखाता है और गुरु भी..
अन्तर इतना है कि
वक्त इन्तहान लेकर सिखाता है
और
गुरु सिखाने के बाद
इन्तहान लेता है
जी बिल्कुल हार्दिक आभार आपका
हार्दिक आभार आपका
बहुत ही सुन्दर पंक्तियों का सृजन किया है आपने