Categories: हिन्दी-उर्दू कविता
Tags: संपादक की पसंद
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दुर्योधन कब मिट पाया:भाग-34
जो तुम चिर प्रतीक्षित सहचर मैं ये ज्ञात कराता हूँ, हर्ष तुम्हे होगा निश्चय ही प्रियकर बात बताता हूँ। तुमसे पहले तेरे शत्रु का शीश विच्छेदन कर धड़ से, कटे मुंड अर्पित करता…
छतरी (काव्य प्रतियोगिता)
फिर याद आया मुझे, सावन के वो…. दो पहरी। भीग रहे थे हम दो, थी हमारे पास एक ही छतरी।। उनसे कभी चिपक जाना, फिर…
बारिश की बूंदें
जलती हुई सूरज की किरणों के बीच, तपती हुई हर चीज़, जल, थल, खेत, मकान, गरमी से बोझिल हर जान। ऐसे में मेघों की गङगङाहट,…
बूंद बूंद बूंदें।
बूंद बूंद बूंदें बूंद बूंद बूंदें बूंद बूंद बरसती है , आंखों से मेरी । तूने क्यों की रुसवाई , जज्बातों से मेरे। बूंद बूंद…
बरखा रानी
घिर-घिर आये मेघा लरज-लरज, घरङ-घरङ खूब गरज-गरज, प्रेम की मानो करते अरज, धरती से मिलने की है अद्भुत गरज। रेशम सी धार चमकीली, नाचती थिरकती…
Very very nice
Thank you very much 🙏
बहुत बढ़िया
बहुत बहुत धन्यवाद 🙏
वाह
भीगे तुम भी, भीगे हम भी
भीग गया है तन – मन सारा।
नभ से मेघा जल बरसाते,
धरती को हैं सरस बनाते
बहुत सुंदर पंक्तियाँ, लेखन प्रतिभा की उत्कृष्टता को दर्शाती कविता।
बहुत बहुत धन्यवाद आपका सतीश जी 🙏 आपकी प्रेरक समीक्षाएं मुझे और बेहतर लिखने के लिए प्रेरित करती हैं। आपका हृदय से आभार।
बारिश के मौसम का लुफ़्त उठाने का अलग ही अनुभव होता है
रिम -झिम बारिश की बूंदें जब तन पर गिरती है काया आनंदित हो जाती है और चारों तरफ हरियाली को देखकर मन भी खुश हो जाता है
अतिसुंदर भाव
बहुत बहुत धन्यवाद मोहन जी 🙏 इस सुन्दर समीक्षा के लिए बहुत आभार।
बहुत खूब
धन्यवाद भाई जी 🙏
प्राकृतिक सुंदरता की सुन्दर प्रस्तुति
बहुत बहुत धन्यवाद प्रतिमा जी🙏
वाह बहुत शानदार
बहुत बहुत शुक्रिया जी 🙏
Very nice
Thank you very much chandra ji 🙏
बहुत उम्दा
Thank you sis
Very nice
Thank you isha ji
बहुत लाजवाब
बहुत बहुत धन्यवाद पीयूष जी 🙏