Categories: हिन्दी-उर्दू कविता
Tags: संपादक की पसंद
Related Articles
दुर्योधन कब मिट पाया:भाग-34
जो तुम चिर प्रतीक्षित सहचर मैं ये ज्ञात कराता हूँ, हर्ष तुम्हे होगा निश्चय ही प्रियकर बात बताता हूँ। तुमसे पहले तेरे शत्रु का शीश विच्छेदन कर धड़ से, कटे मुंड अर्पित करता…
प्यार अंधा होता है (Love Is Blind) सत्य पर आधारित Full Story
वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ। निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा॥ Anu Mehta’s Dairy About me परिचय (Introduction) नमस्कार दोस्तो, मेरा नाम अनु मेहता है। मैं…
शायरी संग्रह भाग 2 ।।
हमने वहीं लिखा, जो हमने देखा, समझा, जाना, हमपे बीता ।। शायर विकास कुमार 1. खामोश थे, खामोश हैं और खामोश ही रहेंगे तेरी जहां…
*एक अनदेखे जंतू ने किया सबको ढेर*
*एक अनदेखे जंतू ने किया सबको ढेर* क्या नही तुमने किया क्या नही हमने कीया कंबरे मे रेहके बंद सबने नजाने काटे कितने पेहेर एक…
पुनर्विवाह (Part -2)
पुनर्विवाह (Part -2) विवाह संस्कार अपने आप में बहुत महत्वपूर्ण हैं, किसी भी महिला के लिए विधवा होने के दर्द से बड़ा दर्द, दुनिया में…
बहुत ही हृदय स्पर्शी पंक्तियां हैं अनु जी
कविता की तीसरी पंक्ति में ” किसी ने नहीं देखे ” होना चाहिए था।
ये टाइपिंग गलती भी ही सकती है।
अति भाव पूर्ण रचना, बहुत सुंदर
समीक्षा के लिए धन्यवाद गीता जी
बहुत खूब सुंदर चित्रण
धन्यवाद जी
आपकी यह रचना पढ़कर मन में यही
आ रहा है अनु..
कि थोड़ी और होती पंक्तियां, थोड़े और अश्क बहते,
थोड़ा और आनन्द आता…
जिस प्रकार आपने आँसुओं की जीवनलीला का बखान किया है उत्तम है आपने अपनी कविता को रुमानी अन्दाज में पेश किया है..अगर मैं कहूं कि यह कविता आपकी सभी कविताओं में मुझे बेहतर लगी तो गलत ना होगा..आपकी कविता में अधूरापन नहीं है परंतु मन यही कहता है थोड़ी और बात होती
थोड़े और अश्क बहते…
थोड़े और अश्क बहते….
मन का बोझ हल्का कर जाते
सांसों की गति तीव्र कर गाते
उदर में मीठी चाशनी से रास्ते
थोड़े और अश्क बहते……
धन्यवाद प्रज्ञा जी प्रोत्साहन के लिए
समीक्षा के लिए धन्यवाद
रास्ते नही रसते
बहुत खूब अनु..
आती रहा करिये, अच्छा लगता है..
बहुत ही सुन्दर भाव है।
धन्यवाद जी
अश्क ने जोड़ा हमेशा
छूटे को अपना बनाया है
टूटे तन की पीड़ हरकर
मन का बोझ मिटाया है
बहुत सुंदर अनु जी।
शुक्रिया जी
Nice
Thanks