Categories: हिन्दी-उर्दू कविता
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होली, रुत पर छा गयी। मस्तों की टोली आ गयी।। लाज़ शरम तुम छोड़ो। आज मुख मत मोड़ो।। दिल को दिल से जोड़ो। झूम कर…
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आओ सब मिलकर नव वर्ष मनाएं…
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गोधूलि
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दुर्योधन कब मिट पाया:भाग-34
जो तुम चिर प्रतीक्षित सहचर मैं ये ज्ञात कराता हूँ, हर्ष तुम्हे होगा निश्चय ही प्रियकर बात बताता हूँ। तुमसे पहले तेरे शत्रु का शीश विच्छेदन कर धड़ से, कटे मुंड अर्पित करता…
वाह वाह
Thanks Pandit jee
वाह क्या बात है
बस आपकी समीक्षा हम पर बनी रहे।
सुन्दर पंक्तियाँ
शुक्रिया पांडे जी। आपने मेरी रचना को स्तरीय समझा बहुत बहुत धन्यवाद।