बेचैनियां
बेचैनियां बटोर के सारे जहान की खुदा ने मेरा दिल बना दिया और खूबसूरती कल्पनाओं की मेरे मुकद्दर में डालकर मुझे शायर बना दिया।
बेचैनियां बटोर के सारे जहान की खुदा ने मेरा दिल बना दिया और खूबसूरती कल्पनाओं की मेरे मुकद्दर में डालकर मुझे शायर बना दिया।
ख्वाहिशों के जुगनू भी बंद कर दिए जाते हैं बोतल में जब मुकद्दर रूठ जाता है और जिंदगी भी मुंह फेर लेती है जब मां…
सब की असलियत सामने आ ही जाती है जब बुरा वक्त आता है तो साया भी साथ छोड़ देता है कोई नहीं साथ देता तब…
धीरज बांधकर रखता हूं हर वक्त पता नहीं किस्मत कब दे दे मात इसलिए अपने कर्तव्य करता रहता हूं और मुकद्दर अपने आप ही बनाता…
तू गैर होता तो दिल इतना ना दुखता पर तू अपना है, तभी तो तेरी कही हर बात सीधे दिल पर लगती है।
तू बुला ले अपने दीवानों को मैं किसी से पीछे नहीं हूं कोई भी परीक्षा ले ले मैं अव्वल ही आऊंगा।
आसमान धुंधला नजर आता है जब ख्वाबों की पट्टी आंख पर लिपटी होती है और नींद आवारा होती है।
आंखों के चश्मदीद है मेरे पास जो जो होता रहा है आसपास वह सब मैंने भी देखा और चश्मदीदों ने भी देखा मुझे सबूत देने…
पहले लाख डाउन और अब अनलॉक डाउन -1 घोषित हो गया है सब कुछ खुला हुआ है और कोरोना बढ़ता जा रहा है इसे रोकने…
अतिथि सत्कार हमारे भारत की परंपराएं है इसे बरकरार रखना हमारा कर्तव्य है अतिथियों का सत्कार करो क्योंकि वह प्रभु के रूप में भी हो…
अतिथि सत्कार हमारे भारत की परंपराएं है कैसे बरकरार रखना हमारा कर्तव्य है अतिथियों का सत्कार करो क्योंकि वह प्रभु के रूप में भी हो…
अब लॉकडाउन लगाओ हम वैसे भी इतने आलसी हो गए हैं कि घर से नहीं निकलेंगे
कहीं धूप कहीं छाया यही तो है प्रभु की माया जिसे कोई समझ ना पाया वो है संसार की मोह माया
अनावश्यक गाड़ी मत चलाओ एसी का बटन ना दबाओ ओजोन परत में और छेद ना करो ओजोन परत के छिद्र को और ना बढ़ाओ
जल को ना बर्बाद करो याद तुम राजस्थान करो पीने का जल है पर्याप्त ही ना व्यर्थ इसे बर्बाद करो
जो सच बोलता है उसे परेशानियों का सामना हमेशा करना पड़ता है परंतु जब सच्चाई आती है सबके सामने तो सबको उसे नमन करना पड़ता…
एक तरफ मजदूर परेशान दूजी ओर किसान फिर सब कहते हैं देखो मेरा देश महान
मजदूरों की समस्याओं को सिर्फ एक ही व्यक्ति ने समझा है सोनू सूद ने बन फरिश्ता उनको घर पहुंचाया है।
धरती का श्रृंगार है हरियाली पेड़-पौधे लगाकर चारों तरफ फैलाओ खुशहाली
पेड़ पौधे लगाओ चारों तरफ फैलाओ हरियाली इस तरह करो पर्यावरण की रखवाली
तुम आए बदरा छाए नैनमा दीप जले गेहूं की बाली खेतन मां लहराए जब लागी प्रीत बिरहा की तो फसल ओला से गिर जावे मनमोहन…
हम नाइ खाइब आजु ते तंबाकू तुमहू छोड़ि देउ ओ बाबू
हम नाइ खाइब आजु ते तंबाकू तुमहू छोड़ि देउ ओ बाबू
तंबाकू खाने से होता है टीवी कैंसर इसलिए इसे खाना करो आज से कैंसिल
तंबाकू निषेध दिवस है आज आज प्रण करो तंबाकू सेवन मत करो वरना सब लुट जायेगा तेरी तलब ही तेरे मौत का कारण बन जाएगी
सच है तुम्हरा इरादा भी मगर मैं तो इश्क के बगैर जी ही नहीं सकता।
लड़ाई किस्मत से है तुझसे नहीं ए ज़िन्दगी! तू परेशान बेकार होती है ।
मेहनत करते जाओ परिणाम अपने आप ही मिल जाएगा जो बोया है वही तो मिलेगा बिन मेहनत कोई क्या पायेगा?
बहरूपियों से क्या डरना जब सर पर हाथ है मां का उसके पैरों तले है आसमां जिसके सिर पर हाथ है मां का
जब मैं उदास होता हूँ तेरे कितने पास होता हूँ रात भर रोती हैं आंखें इश्क में आदमी तब खास होता हूँ ।
सीडियाँ अनगिनत चढ़नी पड़तीं हैं, जब पानी होती है इश्क की मंज़िल ।
किस ओर गया मेरा सुकून फकत इतना-सा बता दे कोई, दिन-रात आगोश में रहता हूँ बेचैनी के ।
ले गया दिल ए नशाद! मुझे जाने कहाँ , जब एक निगाह उसने कर दी मेरी तरफ।
ली गया दिल ए नशाद! मुझे जाने कहाँ जब एक निगाह उसने कर दी मेरी तरफ
रहने देंगे हम तुम्हें लोगों के करीब तुम खुमार में रह लो थोड़ा शरीक
जैसा कहिये वैसा करिये ऐसे लोग जहां में कम ही होते हैं अपनी कथनी और करनी में जो कोई फर्क न करे ऐसे लोग बड़ी…
सिस्कियाँ लेता रहा मैं उसकी याद में रात भर वो पानी पी-पीकर हिचकियाँ लेती रही ।
अकेला रह जाऊँगा माँ मैं तेरे बिन तू छोड़ कर ना जाना मेरा दामन
जब पहुँचा था उनसे मिलने मैं बड़ा जोश में था , वापस आया तो लुटी हुई दुनिया लेकर ।
कृष्ण के प्रेम में हुई दिवानी मीराबाई लिखे दोहे और किया प्रकट कृष्ण का आभार कृष्ण के प्रेम में मीरा पी गई विष का प्याला…
यह धरती बोले काँटे मत बोना हे मानव! फूल ही फूल उगाना बन कर महक तू हर ह्रदय को महकाना
निष्काम ना बैठ मन तू कर सृजन, तू कर सृजन गूंज बन भंवरा जगत में कर गुन्जन तू कर गुन्जन
Geet ban kar gungunauga mai tumhare kaano me
हमते घरइतिनि रोज़ु-रोजु कहति हइ , घुमावइ लई चलउ कहूँ । लॉक डाउन मा ऊबि गयेन हई , मईके कइसेऊ भेजि देउ तुम । हमका…
जीत कर दिल का जहान हार गया सब कुछ खुश बहुत हूँ मगर खुद से हैरान बहुत हूँ मैं ।
मधुसूदन के चरणों में है सारा संसार होंठो पर मुस्कान है और दिल में प्रेम अपार
दिल की बात दिल में ही रह जाती है रात खामोश हो कर भी बहुत कुछ कह जाती है
किसी को अपनी खता दिखाई नहीं देती जिस तरह तिमिर में दिखाई परछाई नहीं देती
गीत बन्द पड़े हैं कल्पनाओं के अंतस में मीत सुनने को बेताब है
सीता का हाँथ देते समय जनक ने कभी नहीं सोचा होगा की जनक दुलारी सीता यूंँ वन में कष्ट भोगेगी कन्द मूल खायेगी और घास…
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