Categories: मुक्तक
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एक सावन ऐसा भी (कहानी)
किसी ने कहा है कि प्रेम की कोई जात नहीं होती, कोई मजहब नहीं होता ।मगर हर किसी की समझ में कहां आती है…
वफादारी
वफादारी देश हित में कुछ काम करो भारत मां को जंजालों से आजाद करो अपने विचारों से योगदान करो करके श्रम देश में सहयोग करो…
धरती
वस्त्रों के बिना नारी शोभा नहीं पाती है धरती को किया नंगी और शरम नहीं आती है कैसे सपूत हो तुम जब मां तड़प रही…
हैसियत
एक औरत अपने आठ महीने के बेटे के संग बीच चौराहे पे आयी। वह हमेशा की तरह एक मैली थैली में से एक कटोरा निकाल…
बड़ी फ़िक्र थी
कविता- बड़ी फ़िक्र थी —————————— बड़ी फ़िक्र थी उसे मेरी, सौ बार समझाती थी, कालेज समय से आया करो, कमियाँ रोज बताया करती थी| नाखून…
Nice
🙏🙏
वाह
धन्यवाद
👌👌