कार्य पर सुरक्षा एवं विश्व स्वास्थ्य (२८ अप्रैल)
है आज कार्य पर सुरक्षा एवं विश्व स्वास्थ्य दिवस श्रमिकों को भी खुश रखे ,ना करें उन्हें अब और विवश मजदूरों की स्वास्थ्य परेशानियों को…
है आज कार्य पर सुरक्षा एवं विश्व स्वास्थ्य दिवस श्रमिकों को भी खुश रखे ,ना करें उन्हें अब और विवश मजदूरों की स्वास्थ्य परेशानियों को…
आज मनाते स्वास्थ्य दिवस एवं होती कार्य पर सुरक्षा आओ हम सब मिलकर करते हैं थोड़ी सी परिचर्चा दुनिया भर में काम के दौरान श्रमिकों…
आज जब धरती मां सुला रही लोगों को अपनी गोद फिर भी रंजिशे मिट नहीं रही ,पुरानी बातें भी रहें खोद प्यार स्नेह तो बचा…
आज की शिक्षित समाज के लोगों को मैंने अनपढ़ पाया , बेटी बनी बहू को भी एक पल में ठुकराया, मानवता तो बची नहीं जताते…
2 साल अभी बस बीते, पोते की खुशी में सब जीते , अचानक पति की तबीयत बिगड़ी और वह सांस ना ले पाया, छोड़ दी…
आज मन बड़ा द्रवित हुआ , सोचा सबको बतला दूं, समाज का एक ऐसा भी रूप सोचा सब को दिखला दूं, बड़ा परेशान पिता था…
आज है जन्मदिवस तेरा ओ मां अंजना के लाल , कलयुग के देवता कहां हो तुम ? आ जाओ करने फिर से हम सबकी देखभाल…
सोचा था आज है हनुमान जयंती, कराऊगीं सुंदर से भजन कीर्तन पर बड़ा द्रवित यह मन हो उठा, सुनकर चंहुओर क्रंदन करती हूं प्रार्थना बजरंगी,…
है अनमोल धरोहर ये अपनी बौद्धिक संपदा कर सकता इसे कोई इसे क्षीण नहीं ,रहती साथ में सर्वदा कोई नया काज करें , या कोई…
एक बूढ़ी अम्मा का घर आना हुआ, बातों का सिलसिला जब शुरू हुआ, अम्मा कहती जब से ई मोबाइल आया, वयस्कों संग बच्चा भी हमसे…
जब सांसे हो रही है कम ,आओ फिर से वृक्ष लगाएं हम, आओ नमन करे हम वसुधा, को जो मिटाती है हम सबकी क्षुधा को,…
आज 25 अप्रैल को विश्व मलेरिया दिवस मनाते हैं, इसी मलेरिया के कारण हजारों लोग अपनी जान गंवाते हैं, इलाज से बेहतर होता स्वयं का…
घर की दहलीज जब लागी तो ऐसा मंजर देखा जिन्होंने अपनों को खोया उनके लिए कोरोना महामारी जो इससे बचकर घर वापस आए उनके लिए…
घर की दहलीज जब लाघीं तो ऐसा मंजर देखा जो भाई आपस में प्यार से रहते थे , परिवार में खुशियां लुटाते थे आज भाइयों…
घर की दहलीज जब लाघीं तो ऐसा मंजर देखा कहीं हो रही पार्टियां, कहीं हो रही शादियां कुछ लोग ठाठ से जीते ,कुछ बच्चे होते…
घर की दहलीज जब लाघीं तो ऐसा मंजर देखा पानी जब बिकना शुरू हुआ तब हमे ये मजाक लगा बीस रूपये लीटर पानी की बोतल…
घर की दहलीज जब लाघीं तो ऐसा मंजर देखा यह आंखों देखी सच्चाई ,नहीं कोई रूपरेखा मैं पहले बताती हूं परिवहन का किस्सा क्योंकि मैं…
कोई मेरी व्यथा क्यों समझता नहीं, मैं भी प्यासा हूं,मेरे लिए कोई पानी रखता नहीं। बढ़ रही उमस इतनी,और धूप कितनी तेज है, पानी के…
आओ कथा सुनाएं तुम्हें पारिस्थितिकी पारितंत्र की, खतरे में आज है स्थिति अपने मानव तंत्र की। दिन-रात खनन हो रहा है चहुंओर हरियाली का, आधुनिक…
आज है राम जन्म करो सब मिल जय- जय कार, फैली विश्व में महामारी को मिटाने के लिए,फिर ले लो प्रभु अवतार। त्राहि त्राहि कर…
कहने को हम भी कहते हैं धरा को धरती माता, है कितनी पीड़ा धरती मां को,यह कोई क्यों ना समझ पाता। करते हम अपने कृत्यों…
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