हरी रस
रसना है ,हरी रस के लिए मत ,रसना ,मधु ,पान करो रंग जा रसिया हरी रंग में अंतर रस ,रस पान करो -विनीता श्रीवास्तव (नीरजा नीर)- »
इस जहां में ,कहाँ खो गया हूँ खुद में ,खुद को ढूंढ रहा हूँ पी रहा हूँ , पी रहा हूँ में बस गम को पी रहा हूँ -विनीता श्रीवास्तव (नीरजा नीर)- »
ये कैसा युग परिवर्तन नर दे रहा नर को , मौत का निमंत्रण नहीं चाहिए ये परिवर्तन , नहीं चाहिए ये परिवर्तन –विनीता श्रीवास्तव (नीरजा नीर )– »
–शहीद– भवर मैं खड़े होकर , तूफानों से टकराते हो अँधेरे में रह कर , चिराग देश का जलाते हो सुख सम्पति निज सपनो की , हस कर बलि चढ़ाते हो कली मैं सब कपूत हैं , तुम सपूत कहाँ से आते हो रक्त रंजित तेल मैं , प्राण बाती जलाते हो भारत माँ की लाज बचा कर, लाल कहाँ छुप जाते हो ऐ शहीद तुम देश की खातिर , किस देश से आते हो भवर मैं खड़े होकर , तूफानों से टकराते हो –विनीता श्रीवास्तव(नीरजा नीर)̵... »