रात

बीती रात कमल दल फूले, हम उनके सपनों में फूले, उनकी रंग भरी बातों में, हम भूली बिसरी यादें भूले, आँख खुली तब हमने देखा,…

घर

रौशन आज मिलकर सब अपने घर कर लेंगे, और मासूम परिंदे अपने भीतर पर कर लेंगे, पूरा आसमां जगमगाऐगा बिना तारों के ऐसे, के सितारे…

शौक

आसुओं के पानी से जितना धुलता जाता हूँ मैं, लोग जितना रुलाते हैं उतना खुलता जाता हूँ मैं, देखने में सबको बेशक बड़ा नज़र आता…

खाली

तुमको सुलाने की खातर कितनी रात मेरी काली रही, मुझे ठीक से याद नहीं के देखकर तुम्हें बेखयाली रही, बातें करती रहीं तुम मुझसे यूँही…

समन्दर

मुझको यूँ कुचलने पर तुम्हें वो समन्दर नहीं मिलेगा, तुम्हारी आँखों को जो चाहोगे वो मंज़र नहीं मिलेगा, बड़ी बेरहमी से मुझे रास्तों पर छोड़कर…

New Report

Close