मुक्तक 6
बर्बादी किसे दिखेगी हमारी जहाँ में मीर , लुटने के बाद ग़म का खज़ाना जो पा लिया .. मुझको तेरी कमी तो सताती ही है मगर , तू दूर जा के खुश है ये सुकून की बात है . …atr »
अगर तुम बन गयी दीपक तुम्हारी लौ बनूँगा मैं, नदी के शोर में शायद तुम्हारी धुन सुनूंगा मैं. तुम्हारी याद में अक्सर यहाँ आंसू टपक पड़ते, ये मोती है मेरे प्रीतम मगर कब तक गिनूंगा मैं… ..atr »
तू ही दौलत मेरे दिल कि तू ही मेरा खज़ाना है, मेरे दिल में मेरे साक़ी तेरा ही गुनगुनाना है. चलो अब देखते है फिर मुलाक़ातें कहाँ होंगी , कहीं तुमको भी जाना है कहीं हमको भी जाना है.. ….atr »
आज फिर जी भर के मुझको पिलाओ यारो, मैं तो झूमा हूँ, मुझे और झुमाओ यारो.. आज इतनी पिलाओ कि फिर होश न रहे, अब तो साकी से मुझे और दिलाओ यारो.. रात आधी है बंद है मयकदा, मेरे जीने के लिए इसको खुलाओ यारो.. पी पी के मरने में वक़्त लगेगा मुझे; आज ही बंद करके मय न जलाओ यारो. फिर कभी याद में उसकी न धुआं दिल से उठे , इसलिए दिल में लगी आग बुझाओ यारो… आज फिर जी भर के मुझको पिलाओ यारो.. …atr »
उनकी उलझी हुई जुल्फ़ें जब मेरे शानों पे बिखरती है सुलझ सी जाती है मेरी उलझी हुई जिंदगी »
न उस रात चांदनी होती न वो चांद सा चेहरा दिखता न मासूम मोहब्बत होती न नादान दिला ताउम्र तडपता »
ये तो मुमकिन नही यूं ही फ़ना हो जाऊं मैं तो सन्नाटा हूं फैलूं तो सदा हो जाऊं »
अब तो उनके घर से सदायें आती हैं ,जो कभी मेरे न थे उनकी भी दुआएं आती हैं … सुना है उन मकानों में हज़ारो कत्लखाने हैं , जहाँ दिल चूर होते हैं , सलाखें ग़ज़ल गाती हैं… …… …atr »
उनको हर रोज नये चांद सा नया पाया हमने मगर उन्होने हमें देखा वही पुरानी नजरों से »
जब शागिर्द ए शाम तुम हो तो खल्क का ख्याल क्या करें जुस्तजु ही नहीं किसी जबाब की तो सवाल क्या करें »
कैसे करें शिकवे गिले हम उनसे उनकी हर मासूम खता के हम खिदमतगार है »
ये कैसा तसव्वुर, कैसा रब्त, कैसा वक्त है जो कभी होता भी नहीं, कभी गुजरता भी नहीं रब्तः संबंध »