“यादें” #1Liner-50 ….
ღღ__दिल तो करता है कभी-2, तेरी यादों को ज़हर दे दूँ साहब; . फिर सोंचता हूँ, भला ये भी, कोई उम्र है ख़ुदकुशी करने की!!….#अक्स…
ღღ__दिल तो करता है कभी-2, तेरी यादों को ज़हर दे दूँ साहब; . फिर सोंचता हूँ, भला ये भी, कोई उम्र है ख़ुदकुशी करने की!!….#अक्स…
इस वीराने में अचानक बहार कहां से आ गयी गौर से देखा तो ये महज़ इज़हार ए तसव्वुर था
सोच कर यह , ख़ता दर ख़ता किए जा रहे हम , प्यार में तो वोह मिलने से गए , सजा देने ही शायद आ…
तेरी यादों के कागज को , छुपा रखा है , अपनी पलकों से थोड़ा पीछे , कहीँ सालों से बह्ते आँसू ,…
गम–ए–इशक में डूब कोई मरीज–ए–मोहब्बत ना बच पाया रफ्ता रफ्ता सरकती मौत देखी यूई ना मर पाया ना जी पाया ………
ღღ__अक्सर खुद ही खुद से बाज़ियॉं, खेलता रहा साहब; . डर तो अब लगता है, जब खुद को हार बैठा हूँ !!…..#अक्स .
ღღ__कशिश आज भी वही है, और शिद्दत भी वही है “साहब”; . महज़ ख्वहिशों का तेरी, “अक्स” बदला हुआ सा लगता है!!……#अक्स .
नींद की चाहत तो नही होती , बस इक आस सी रहती है , कम्बख्त आ जाए तो शायद , ख्वाब…
गर जमाने ने किया होता , कसम ख़ुदा की, सब कर गुजरते हम I अफसोस यह खंजर उन हाथों ने मारा जिनको ता–उमर…
बवंडर तन्हाई और दर्द के भी ना गिरा सके एक अश्क जिनमें बरसों बाद तेरी एक आवाज़ ने क्यों छलका दिए पैमाने उनमें …
ღღ__आज भी तुमको, झूठ बोलना नहीं आता “साहब”; . कि ठीक होने में, और कहने में बहुत फर्क होता है!!……#अक्स .
शरारतें की है बहुत जिंदगी में हमने अब जिंदगी है जो शरारत करती है
ღღ__सज़ा में एक ही लफ्ज़ है, तेरे हर इक गुनाह का मेरे पास; . कि तुम इतने मासूम हो साहब, जाओ “माफ” किया तुम्हें!!……#अक्स .…
ღღ__मेरे होंठों पे आज भी, कायम है तेरी खुशबू; . इनपे भला शराब का, अब असर कहाँ होगा !!…….#अक्स .
!!!! SAGAR KE DI SE !!!! Kisi ko chorne aaya tha Aaj shamsaan main Dil main khayaal aaya Ki khud ko yahi chor jaaun Phir…
अब कलम उठायी है तो कुछ लिख देते है वर्ना जिंदगी किसी कहानी से कम नहीं
तेरी तस्वीर के आगे सर झुका नही सकती बोझिल पलकेँ मै उठा नही सकती…!!! मज़बूरी का आलम ये कि इस बुझती शम्मा को फ़िर से…
जलते है जिसके लिए, करोड़ों आंखो मे दीये जान कुर्बान हर जनम में ऐसे वतन के लिए
हर हिंदुस्तानी की इक ख़ास पहचान , ये तिरंगा …. भारत माँ की करता बेनज़ीर शान , ये तिरंगा …. सीमा पर तैनात हर जवान…
!!!!! SAGAR KI ROOH SE !!!!! katra katra behta raha khoon mera jinke liye zindagi bhar aakhari katra nikalte hi unho ne bas jalane ki…
!!!! SAGAR KI ROOH SE !!!! bari se bari deh bhi ik tasveer ban kar reh jaati hai saari zindagi ka safar mehaz baatain ban…
!!!! SAGAR KI KALAM SE !!!! chandni raat ke jawar bhate ke tarah tha tumhara payar bas agle hi din saagar ki lehro ke jaise…
!!!!! SAGAR KE DIL SE !!!!! gairon ne tau gair-iradtan kasht diya apno ne tau pure iraade se dil tor diya gairon ki chaut se…
ღღ__कब तलक भटकोगे आखिर, महज़ सुकून की तलाश में; . ये वो शै है “साहब”, जो शायद तेरे नसीब में ही नहीं !!……#अक्स .
ღღ__आरजू मौत की नहीं लेकिन, अब जी के भी क्या करना है; . ज़िन्दगी जी भर के यूँ जी है, कि अब ‘जी’ भर गया…
ღღ__मौत को भी आखिर, गुमराह कब तलक करते; . ज़िन्दगी छोड़ दी हमने, हर लम्हा तुम्हारा करके !!…….#अक्स
हमारे जीवन की कविता कहानी सी हो गयी है चली जा रही है, बिना किसी लय के, बिना किसी तुक के
ღღ__ज़िन्दगी भी कुछ ऐसे ख्याल में गुजरी; जैसे शब्-ए-फुरकत किसी मलाल में गुजरी !! . जिसमें इश्क़, हो जाता है बे-वजह; वो उम्र तो बस,…
हो गये थे हैरान नैरंगे-नज़र देखकर मिल जाता सुकुन ग़र जो इनसे पी लेते कभी
सब हर्फ़ों का खेल है इस खलक में कुछ जख़्म देते है, कुछ मरहम लगा देते है
ღღ___हाँ ये सच है की हम जागेंगे, उम्र-भर तन्हा तेरे बगैर; . मगर नींद तुझको भी नहीं आएगी, किसी और की बाँहों में!!…..#अक्स .
!!!! SAGAR KE DIL SE !!!! Mazzar thi wo ik aashik ki Shayad issi liye wahan jaa kar Mujhe bahut skoon milta hai @@ SAGAR…
!!!! SAGAR KI KALAM SE !!!! kaise kahun tere iss dard ka koi illaaz nahi kaise kahun teri mohabbat ka mere paas jawab nahi par…
!!!! SAGAR KI KALAM SE !!!! Kabhi ishq tha humme bhi Mohabbat se Ab taras aata hai humme Uss ishq pe @@ SAGAR @@
ღღ___अब ये कैसे कह दूँ “साहब”, कि खुशनसीब नहीं हूँ मैं; . आखिर एक अरसे से उसको अपना, नसीब कहता रहा हूँ मैं !!…. #अक्स
चार दीवारे और इक छत, इत्ता सा था घर मेरा भूखी जमीन आज उसे भी निगल गयी
ღღ___कोई ताबीज़ आता हो, तो पहना दो मुझको “साहब”; . तुम्हारे इश्क़ का जूनून, अब सर से उतर रहा है !!…….#अक्स .
कभी वो कुछ कहते है, कभी हम कुछ कहते है हमारे रिश्ते चंद लफ़्जों में अक्सर महफ़ूज रहते है
ღღ___मैं हँस रहा था जिस लम्हे में, बस अभी-2 तो गुज़रा है; . और लोगों से सुना है, गुज़रा हुआ वापस नहीं आता !!……#अक्स .…
hum pagal hi to the janaab, jo unhe apna samjhne ki bhool kar gaye….. wo humhein begaana keh kr chale gaye huzoor, anchaha dard diya…
ღღ__तुमने रोका है इनको “साहब”, या हम भूलने लगे हैं अब; . कि अब ख्याल भी तेरे, हमसे मिलने नहीं आते !!………#अक्स
ღღ___कुछ इस तरह से आकर, गम लिपट रहे हैं मुझसे; . कि जैसे हर एक दरिया, समन्दर से जाके मिलता है!!……#अक्स
!!!! SAGAR KE DIL SE !!!! EK dil hi tau tha Jisse samaj na paaya koi Ek ehsaas hi tau tha Jisse mahsoos na kar…
ღღ__ज़रा देखो तो निकल के “साहब”, अब तक वो आए क्यूँ नहीं; . कहीं ऐसा तो नहीं रस्तों नें, उन्हें गुमराह कर दिया !!……..#अक्स
वो जो गुजर गये यूं मुंह फ़ेरकर उतरा उतरा रहता है तब से मुंह मेरा कयामत थी या क्या थी वो मिलकर उससे मजरूह हो…
ღღ__अक्सर भीग उठती हैं “साहब”, पलकें तेरी नज़र-अन्दाज़ी से; . निगाह-ए-इश्क़ पे कोई फ़र्क, ज़माने का नहीं पड़ता !!………#अक्स
!!!! SAGAR KI KALAM SE !!!! Dhaffan ho gaya ik rishta Bahut dard samete hue Bina kisi awaaz kisi kraah ke na tum samaj paaye…
dukh mere dekh kr, ab khushiyan bhi jholi mein aane lagi…. khaamoshi k baad, main fir se gungunaane lagi…. or dekh kr saahas mera, zindgi…
hum intezaar mein baithe rahe unke… magar unki parchaayi bhi na pahuch saki mujh tak, na ja wo raste se bhatkk gaye…. yaa mujh se…
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