दूरी

मैं खिड़की पर खड़ा था और वह दरवाजे पर खिड़की से दरवाजे कि ये दूरी तब भी थी जब वह मेरे पास आ रही थी…

चिट्ठी

प्यारी गौरैया! आज तुम्हें इतने दिनों बाद अपनी छत पर देख अपने बचपन के दिन याद आ गए ,तब तुम संख्या में हमसे बहुत ज्यादा…

“काशी से कश्मीर तक सद्भावना यात्रा सन1994”

“काशी से कश्मीर तक सद्भावना यात्रा सन1994” किसी भी यात्रा का उद्देश्य सिर्फ मौजमस्ती व् पिकनिक मनाना ही नहीं होता | यात्राएं इसलिए की जाती हैं…

बच्चा

एक बच्चा,अपने मन से कुछ बनना चाहता था पर मां-बाप की ही उस पर चलती रही. जैसा हम कहते हैं वैसा ही करो और उसकी…

सच्चाई

मुंह में राम बगल में छुरा लिए आते हो अपनी गंदी राजनीति से सबको लड़वाते हो क्या फर्क पड़ता है कि तुम हिंदू हो या…

दलित

इस आजाद भारत में आज भी मेरी वही दशा है. छुआ – छूत का फंदा आज भी मेरे गले में यूहीं फंसा है. मै हूँ…

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