समय जगा रहा हैं

October 9, 2019 in हिन्दी-उर्दू कविता

‘समय जगा रहा है’

कठिनाइयां बहुत हैं,चेतावनी विविध हैं,
संघर्ष पथ कठिन हैं, जो एकता विहीन हैं।
जागों भारतीयों जागों, समय जगा रहा हैं,
वो अकेला ही क्यों दुष्कृत्य भगा रहा हैं ?
माँगता सहयोग वो सहयोग दो,
पाप बढ़ रहा हैं, अब रोक दो;
यह राष्ट्र क्यों विदेशियों को गले लगा रहा है?
जागों भारतीयों जागों, समय जगा रहा हैं;
आपसी लड़ाई को तुम रोक दों;
देश के हित में जान झोंक दो।
तुम ही युवा विवेक हो, तुम ही अब्दुल कलाम हो;
कर्म युँ करो की कल तुम्हें सलाम हो।
तुम ही शिवा महाराज हो, तुम ही हो राणा प्रताप;
फिर भी क्यों बढ़ रहा है देश में पाप,
यह देश क्यों सांप्रदायिक रंग मे रंगा रहा है?
जागों भारतीयों जागों, समय जगा रहा हैं।
जागों भारतीयों जागों, समय जगा रहा है

कवि:- सुरेन्द्र मेवाड़ा ‘सरेश’
आयु:- 14 वर्ष

मेरा मध्यप्रदेश

October 9, 2019 in हिन्दी-उर्दू कविता

जहां स्वयं भूतनाथ विराजे,महांकाल के वेश में,
कण-कण में सुंदरता झलके मेरे मध्यप्रदेश में,
जीवनदायिनी रेवा बहती,विंध्याचल विराट है;
रत्न अमोल भरे अपार है, यह खनिज सम्राट है।
भीमबेटका खजुराहो से,संस्कृति की पहचान है;
मोक्षदायिनी क्षिप्रा रूपी,मिला हमें वरदान है;
जहां मन मोहिनी सुगंध भरी हो,
चंदन के अवशेष में;
महाकाल रक्षक है जिसके,आइए इस प्रदेश में।

कवि:- सुरेन्द्र मेवाड़ा ‘सरेश’
आयु:- 14 वर्ष

महात्मा गांधी

September 20, 2019 in हिन्दी-उर्दू कविता

ना उठाया शस्त्र कभी ना हिंसा अपनाई थी ,
अंत समय पर उनके राष्ट्र में खामोशी छाई थी ;
सौराष्ट्र प्रांत का संत वहां था ,
राष्ट्रप्रेम उसका अनंत था ;
देकर आजादी बापू कहलाया ,
आजादी का गान है गाया ;
सत्ता का न लोभ उसे था ,
राष्ट्रपिता का दर्जा पाया ;
विश्वकल्याण स्वप्न था उसका ,
निर्मल अंतर्मन था उसका ;
जीवन समर्पित किया देश को ,
किया नमन सदैव अवधेश को ।
सत्याग्रह,असहयोग पर दिया था उसने जोर ;
सतत प्रयास के फलस्वरूप हुई थी आजादी की भौर रघुपति राघव गाता था वो,
चरखा सदा चला था वो;
स्वावलंबी था वह मानव ,
नहीं रोक पाया कोई दानव ;
अंग्रेजों को रोका जिसने ,
वही राष्ट्रपिता है कहलाया ।

किसान

September 20, 2019 in हिन्दी-उर्दू कविता

दो रोटी देने को तुमको,
रह जाता है भूखा वो;
दूध-दही देने को तुमको,
खा लेता है सुखा वो,
कभी बारिश कभी जाड़े में;
फसल हो जाती हैं चौपट,
माँगता है बस मेहनताना;
नहीं माँगता वो फोकट।
बेईमानी चोरी आदि से,
रहता कोसो दुर है;
चलता सन्मार्ग पर वह है,
करता मेहनत भरपूर है;
फिर भी दशा वही है उसकी,
स्तर नहीं सुधरता है
करता हैं क्यों आत्महत्या?
दुख से क्यों गुजरता है?

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