ABHISHEK SHARMA
आईना
June 21, 2016 in हिन्दी-उर्दू कविता
यूँ ना कर सितम मुझ पे,
मुद्दतों से लौटा हूं , आईना बन के
उसी नजर से देख नजर आउगा तुझे
अगर कि साजिश, तो अब बिखर जाउगा में |
:-अभिषेक शर्मा
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