Jaadu pyaar ka

November 17, 2015 in हिन्दी-उर्दू कविता

मोहब्बत के झरोखे से ये कैसी रोशनी आयी
मुद्दत बाद हमनें आज फिर नज़रें उठायीं हैं

कि हम तो सोच कर बैठे हि थे अन्जाम क्या होगा
कि किसने आज यूं ऐसे हमें हिम्मत दिलायी है

हुआ था घुप्प अंधेरा थीं मेरी नज़रें बड़ी बोझिल
कि किसने आज हमको देख फिर बाँहें फैला दी हैं। ।।

था बैठा हार से थककर, किसी शम्शान बस्ती में
किसी की एक आहट से हँसी फिर लौट आयी है

कि मैं ख़ुद में हि खोया था, न जाने कब मैं सोया था
थिरकते किसके क़दमों से ये धड़कन मुस्कुराई है।।।

मोहोब्बत के झरोखों से ये कैसी रोशनी आयी
कि मुद्दत बाद हमने आज फिर नज़रें उठायी हैं।।।।।।

।।।धन्यवाद ।।।

tu jaana nahi

November 16, 2015 in हिन्दी-उर्दू कविता

तू जाना नहीं इस दिल को छोड़,
मेरी धड़कने बड़ी नक़लची हैं।।।।

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