ज़िंदगी अभी तक थमी हुई है

October 22, 2016 in शेर-ओ-शायरी

उसका हुस्न – ए – तसव्वुर जैसे ज़िंदगी थमी हुई है

ज़ियारत -ए -रुख़-ए -अनवर आज सुबह ही हुई है

उसकी सोहबत  से फ़ुरक़त हैं  ‘मियाँ ‘

फिर भी दयार -ए -दिल की क़िस्मत तो देखो

ज़िंदगी अभी तक थमी हुई है

कैसे भुला दूँ

October 22, 2016 in हिन्दी-उर्दू कविता

कैसे भुला दूँ खाना -ए-दिल से

कैसे भुला दूँ उसकी ज़ीशान निगाहें

कैसे भुला दूँ उसकी रेशमी ज़ुल्फें

मुमकिन नही भुलाना अब उसकी यादों को

 

जब  थी करीब न किया तवज्जो उसके प्यार का

उसके जाने के बाद हुआ एहसास  उसके प्यार का

हाल -ए -दिल हुआ यूँ

की हम आईने मे खुद से नज़र मिला न सके

 

सिसकते रहे उसकी यादो में

अब कैसे भुलाएं उसकी यादों  को

जब भी उसका नाम आता है होठों में

यही दुआ करता हूँ रब से की भुला दे उसकी यादों को

 

– AMIT PRAJAPATI

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