विश्व समर जीत

July 4, 2020 in Poetry on Picture Contest

जाग हे पार्थ जाग तू,
दे काल को अब मात तू,
काल के कपाल पर अमिट रेखाएं खींच,
अब तू काल समर जीत।
स्वयं के सम्मान हेतु ,
विश्व के कल्याण हेतु ,
अपने अंदर के ज्वाल पुष्प को तू सींच,
अब तो दिव्य समर जीत ,
अब तो विश्व समर जीत ।।
हो रही हूंकार है ,
उठ रही तलवार है,
गांडीव के बाण से ,
विश्व के इतिहास में ,
गाथा नवीन लिख।
उड़ उड़ान बाज की ,
हुंकार हो वनराज की,
हर संकट में बने कठिनाई तेरी मीत,
अब तू धर्म समर जीत।
अब तो विश्व समर जीत।।