E nadan

March 28, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता

Samandar me mana gaharai hoti hai, magar
Jwar bhata bhi aata hai

Daba kr naa rakh jauk-e – junoon ko e nadan
Woqt aane pr har raaj khul jaata hai

तुम देह नहीं तुम देहाकार हो

March 23, 2018 in गीत

तुम देह नहीं तुम देहाकार हो
देह में हो देह से मगर पार हो

क्या दिखायेगा रूप दर्पण तुम्हारा
देखो अंतर में, खुलेगा राज सारा
शाश्वत सौंदर्य ज्योति पारावार हो
देह में हो देह से मगर पार हो.

क्षणिक मौजों सा देह का उभार है
मुखडे में देखे क्यों सौंदर्य-सार है
भूले तुम, आत्मा का कैसे श्रंगार हो
देह में हो देह से मगर पार हो.

देख दर्पण ना जीवन गवां प्राणी
ह्दय नगरी में उतर हो जा फानी
ज्ञान रत्नों पूर्ण तेरे उदगार हो
देह में हो देह से मगर पार हो.

परख स्वयं को आत्मा खुद को मान
आत्माओं का पिता, परमात्मा को जान
ईश्वर स्वरूप  गुणों का भंडार हो
देह में हो देह से मगर पार हो.

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