तुम्हें ज़िन्दगी के उजाले

September 24, 2016 in हिन्दी-उर्दू कविता

तुम्हें ज़िन्दगी के उजाले मुबारक
अंधेरे हमें आज रास आ गए हैं
तुम्हें पा के हम ख़ुद से दूर हो गए थे
तुम्हें छोड़कर अपने पास आ गए हैं
तुम्हें ज़िन्दगी के…

तुम्हारी वफ़ा से शिक़ायत नहीं है
निभाना तो कोई रवायत नहीं है
जहाँ तक क़दम आ सके आ गए हैं
अंधेरे हमें आज…
तुम्हें ज़िन्दगी के…

चमन से चले हैं ये इल्ज़ाम लेकर
बहुत जी लिए हम तेरा नाम लेकर
मुरादों की मंज़िल से दूर आ गए हैं
अंधेरे हमें आज…
तुम्हें ज़िन्दगी के…

– गुलज़ार