बेरंग इश्क़

March 21, 2017 in हिन्दी-उर्दू कविता

उकेरे कई चित्र प्राण के पृष्ठ पर,

सब मिट-मिट गए एक तू ही सजा।

रंग की कुचियाँ सब हुई बावली,

रंग कोई नहीं मुझमें भर सका।

अर्चना वर्मा