ANIL BACHLE
रग रग मे है तू
June 8, 2016 in हिन्दी-उर्दू कविता
गुल है बाग़ मे मगर खुशबू नही है
जां है बदन मे मगर रूह नही है
तेरा होना भी इक हादसा है ग़ज़ब का
कि रग रग मे है तू मगर रूबरू नही है।
आइना हूं मैं
June 7, 2016 in हिन्दी-उर्दू कविता
बदलती हुई दुनिया का आइना हूं मैं
बदलते है चेहरे तो बदल जाता हूं मै