यह कौन लोग का हुजूम है?

February 13, 2021 in हिन्दी-उर्दू कविता

भारत की राजधानी दिल्ली के बॉर्डर सिंघु और टिकरी में यह कौन लोग का हुजूम है?
देखो देखो यह लोग और कोई नहीं
हमारे देश के अन्नदाता
जो रोज मेहनत की पसीना बहाकर
औरों का पेट भरने का प्रयास करने वाले
हमारे देश की शान सैनिक किसान
सैनिक किसान सड़क में क्यों?
जो दूसरों का पेट की चिंता करने वाला
खून पसीना एक करके फसल उगाने की लड़ाई में
सैनिक की तरह लड़ने वाला
इज्जत की ताज सर पे होनी चाहिए जिनके
वह आखिर सड़क में क्यों?
यह सड़क का हुजूम सिर्फ हुजूम नहीं है
सत्ता के लिए एक चेतावनी है ।
जब-जब निहत्थे पर अन्याय जुल्म बार-बार होगी
तब निहत्थे जनता भूल जाएंगे उनकी गोला बारूद
सत्ता पर बार-बार सवाल उठ खड़ी होगी।
इतिहास फिर से लिखी जाएगी
सुकरात के जैसे अंधे व्यक्ति का चौराहे पर किया जाने वाला सवाल से सत्ता कांप उठती थी।
यह देश के शान किसान के समूह का जुलूस प्रदर्शन से सत्ता की नींव हिल कर रह जाएगी।
फिर से इतिहास का निर्माण होगा
इतिहास लिखी जाएगी किसानों के खून से।।