by Ashok

मुक्तक

June 26, 2022 in मुक्तक

आजकल थोड़ा खफा सा रहता है
जग रहा मगर सोया सा रहता है
पर जाने क्या है मजबूरी उसकी
वो बैठा हुआ थका सा रहता है ।

अशोक बाबू माहौर

by Ashok

हाइकू

July 19, 2021 in हाइकु

आँख मलती
जग रही बिटिया
मुँह बनाती |

ठप्प दुकान
नहीं कोई ग्राहक
बुरा समय |

गलियाँ तंग
आवाजाही हो रही
चुभे दीवार |

अशोक बाबू माहौर

by Ashok

दोहा

December 10, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता

फूटी मटकी रख दयी, माटी लेप लगाय
पानी पल पल रिस रहा, मन भी धोखा खाय।

अशोक बाबू माहौर
10 /12 /2018

by Ashok

हाइकु

December 3, 2018 in हाइकु

हथेली पर
सपनों की घड़ियाँ
साकार नहीं।

नदी के पार
रेत के बडे़ टीले
हवा नाचती।

अशोक बाबू माहौर

by Ashok

हाइकु

December 3, 2018 in हाइकु

हथेली पर
सपनों की घड़ियाँ
साकार नहीं।

नदी के पार
रेत के बडे़ टीले
हवा नाचती।

by Ashok

लौट आने दो उस हवा को

March 20, 2018 in मुक्तक

लौट आने दो उस हवा को
गुनगुनाने दो उस हवा को
वह आयी है गीत सुनाने
थरथराने दो उस हवा को।

अशोक बाबू माहौर

by Ashok

स्वच्छ भारत

March 7, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता

मिलकर साथ
हाथ मिलायें
खुद जागें
और जगायें
स्वच्छ भारत अभियान
सफल बनायें।
गली मोहल्ले गंद मुक्त हो
सड़कें स्वच्छ चमके
देहरी द्वार महक उठे
ऐसा संघर्ष अभियान चलायें
स्वच्छ भारत अभियान
सफल बनायें।
स्वच्छ हो कोना कोना
मधुर लगे हर राह चलना
रौनक हो भारत में
आओ खुलकर साथ निभायें
स्वच्छ भारत अभियान
सफल बनायें।

by Ashok

सवाल पूछा

February 24, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता

संस्कार में दबे
बच्चे से
घूरते हुए
अध्यापक ने
सवाल पूछा,
बेटा ये बताओ
हम कौन?
बच्चा मुस्कुराते बोला,
अध्यापक जी
आप गुरु हम शिष्य
यानी गुरु धाम में
हम पढ़ रहे
आप पढ़ा रहे
‘हम कौन?
हम कौन?’

अशोक बाबू माहौर

by Ashok

पंछी

February 24, 2018 in हाइकु

उडता पंछी
नील गगन फैला
विशाल हाथ।

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