Ashok
दोहा
December 10, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता
फूटी मटकी रख दयी, माटी लेप लगाय
पानी पल पल रिस रहा, मन भी धोखा खाय।
अशोक बाबू माहौर
10 /12 /2018
लौट आने दो उस हवा को
March 20, 2018 in मुक्तक
लौट आने दो उस हवा को
गुनगुनाने दो उस हवा को
वह आयी है गीत सुनाने
थरथराने दो उस हवा को।
अशोक बाबू माहौर
स्वच्छ भारत
March 7, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता
मिलकर साथ
हाथ मिलायें
खुद जागें
और जगायें
स्वच्छ भारत अभियान
सफल बनायें।
गली मोहल्ले गंद मुक्त हो
सड़कें स्वच्छ चमके
देहरी द्वार महक उठे
ऐसा संघर्ष अभियान चलायें
स्वच्छ भारत अभियान
सफल बनायें।
स्वच्छ हो कोना कोना
मधुर लगे हर राह चलना
रौनक हो भारत में
आओ खुलकर साथ निभायें
स्वच्छ भारत अभियान
सफल बनायें।
सवाल पूछा
February 24, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता
संस्कार में दबे
बच्चे से
घूरते हुए
अध्यापक ने
सवाल पूछा,
बेटा ये बताओ
हम कौन?
बच्चा मुस्कुराते बोला,
अध्यापक जी
आप गुरु हम शिष्य
यानी गुरु धाम में
हम पढ़ रहे
आप पढ़ा रहे
‘हम कौन?
हम कौन?’
अशोक बाबू माहौर