Dev Rajput
चल कोई ख़्वाब निचोड़ा जाये
December 29, 2016 in ग़ज़ल
कब तलक ख़ुद को समेटा जाये,
चल कोई ख़्वाब निचोड़ा जाये…
कोई आया नहीं अपना हमारे कारवां में
चलो आज कोई पराया जोड़ा जाये..
जिंदगी चली जा रही है सीधी सी
आज इसे कहीं और मोड़ा जाये..
भर गयी है गुल्लक ख़्वाबों की
चलो आज इसे फोड़ा जाये…
जिंदगी
December 29, 2016 in शेर-ओ-शायरी
कभी गांव की मिट्टी की भीनी खुशबू से भरी थी जिंदगी
आज कल शहर की धूल में लिपटी पड़ी रहती है|
तकदीर की क्या खूबी है
December 6, 2016 in Other
तकदीर की क्या खूबी है,
मेहनत करने वाले नंगे बैठे है
काले धन वाले
मोटे लिहाफ़ कम्मल लपेटे है
Life
June 11, 2016 in English Poetry
Let the wind come on your face,
Let the challenges flow to your ways,
Make your life worth living
Let the real life begin in your days.
अब तो दिल ही हमारा महफिलों ढल गया
December 28, 2015 in हिन्दी-उर्दू कविता
तालीम नहीं मिली कभी, ना इल्म था हमें कभी
बस इक तसव्वुर था, जो ज़हन मे घुल गया
कभी शिरकत किया करते थे, हम महफिल ए इश्क में
अब तो दिल ही हमारा महफिलों ढल गया…
रुका रुका सा लगता है वक्त
December 14, 2015 in हिन्दी-उर्दू कविता
रुका रुका सा लगता है वक्त
जब से वो गये है
सब थम सा गया है
बहते थे अश्क आंखो से
अब लगता है वो भी
जम से गये है