मेरी दुआ

August 26, 2022 in हिन्दी-उर्दू कविता

मेरी दुआ है आतिश-ए-इश्क़ में
तेरा घर भी यूँ ही जला करे

न ज़ख़्म हो न सकूँ मिले
तेरा दिल भी यूँ ही दग़ा करे

न दर्द हो न दवा मिले
यूँ मेरी तरह तू जला करे

न हो पास कोई न रक़ीब मिले
यूँ मेरी तरह तू रोया करे

न ग़म हो न ख़ुशी मिले
इसी आग में तू जला करे

न हो ज़िन्दगी न मौत मिले
यूँ मेरी तरह तू जिया करे

मेरी दुआ है आतिश-ए-इश्क़ में
तेरा घर भी यूँ ही जला करे