Holi hai..!!

June 27, 2015 in हिन्दी-उर्दू कविता

तुम विष हो , अनश्वर

तुम से मिलकर जाना ..

कि साधना सिर्फ अमृत की बूँद  के लिए ही नहीं ,

मृत्यु के  बाहुपाश के लिए भी की जाती है .

तुम्हारा वरन करने के लिए बनाई है आंक के फूलों की माला

देखो , मेरी ओर क्रोध से देखो और भस्म कर दो मुझे ,

फिर इस गहरे लाल भस्म को अपने अंग अंग में लपेटो .

होली है !!