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फिर आएँगे
June 8, 2020 in Poetry on Picture Contest
कह चले हैं अलविदा उन शहरों को
जिनमें हम कमाने-खाने आए थे,
महामारी में बचे रहे तो.. फिर आएँगे l
मजदूर हूँ, हुनर हाथों में और दिलों में सपने लिए आएँंगे
इंतजार था बंद खुलने का,
अपनों से मिलने का,
चिंता मत करो साहब!
महामारी बीत जाने दो,
जिंदा रहे तो फिर आएँगे l
कह चले अलविदा उन शहरों को,
जिनमें हम कमाने-खाने आए थे l
अब तो रेल गाड़ी की रफ़्तार कम सी लगती है ,
यादों की रफ़्तार के आगे..
चैन तो तभी मिलेगा ,
जब अपनों से मिल जाएँगे l
कह चले हैं अलविदा उन शहरों को,
जिनमें हम कमाने-खाने आए थे l
प्रवासी है साहब!
यहाँ सब मतलब से बात करते हैंl
प्यार और किसी की देखभाल कहाँ पाएँगे,
ऐसे में तो सिर्फ अपने ही हैं
जो गले लगाएँगे l
कह चले हैं अलविदा उन शहरों को,
जिनमें हम कमाने-खाने आए थे l
नमस्कार
June 8, 2020 in Poetry on Picture Contest
कवि /कवित्रियों की वेब गोष्ठी को पूनम का प्रणाम🙏
आप अनुभवी गानों में एक कविता प्रस्तुत करने का साहस कर रही हूंँ आपके स्नेह और सहयोग की आकांक्षा है.