शिक्षक दिवस पर

November 9, 2016 in हिन्दी-उर्दू कविता

शिक्षक दिवस पर****
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शिक्षक राष्ट्र का निर्माता
शिक्षक ही ज्ञानका है ज्ञाता
आदिकाल से इस जग में
शिक्षक समाज का गहरा नाता ।
जब से इस जग मेंसृष्टा ने
सृष्टि का सृजनहार किया
तब से ही ज्ञानकी ज्योति
जगा शिक्षक ने तम का नाश किया ।
एकलव्य ने गुरू प्रतिमा से
ही ज्ञान गुरू का पाया था
गुरू समर्थदास को वीर
शिवा ने अपना गुरू बनाया था ।
पैर की पीड़ा हरने को
सिंहनी का दूध पिलाया था
क्या गुरू औरक्या शिष्यथे
यह सोच आजमन हर्षाया
जिव्हा पर गुरू परमहंस और नाम विवेकजी का आया ।
दौलतशोहरत रिश्ते ना हों
पर ज्ञान गुरू का रहता है
शिक्षा ही ऐसा धन है जिसको छीन नहीं कोई
पाता है ।
श्रीकृष्ण ने संदीपनमुनिको अपना गुरू बनाया था
सागर से माँगा मृत पुत्र
गुरू माता को लौटाया था
कोई हुआ न होगा इस जग
में गुरू जैसा ज्ञानी दानी
पत्थर को भी पावन कर दे
गुरू की पारस जैसी वाणी
गुरू की पारस जैसी वाणी
जय हिंद जय भारत
वन्दे मातरम(कमलेशकौशिक)
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माँ शारदे वरदान दो

November 9, 2016 in गीत

माँ शारदे वरदान दो
वरदायिनी वरदान दो

मेरे उर में तेरा वास हो
हर रोम में प्रकाश हो

सन्मार्ग पर मैं चल सकूँ
मुझे अभय का वरदान दो

शवेताम्बरी वरदान दो
वरदायिनी वरदान***

मैं पीर सबकी सुन सकूँ
दुःख दर्द सबके हर सकूँ

सबके लिए सद्भाव हो
हंस वाहिनी वरदान***

मेरी वाणी भी ओ ज हो
मस्तक पे मेरे तेज हो

मुझे सप्त सुर का ज्ञान दो
माँ शारदे वरदान***

जिव्हा पे तेरा नाम हो
घट घट में तेरा वास हो

वाणी मेरी मधुरिम बनें
मुझे ऐसा तुम वरदान दो

पदमासनी वरदान दो
माँ शारदे वरदान दो

वीणा वादिनी वरदान दो
वरदायिनी वरदान दो

माँ शारदे वरदान दो
कमलेश कौशिक
हिंदी अध्यापिका
मो0 पुर अहीर
जिला उपप्रधान मेवात

नन्ही चिड़िया है बेटी

November 9, 2016 in हिन्दी-उर्दू कविता

नन्ही चिड़िया है बेटी
आँगन के बीच चहकने दो
कली कमल की है बेटी
बगिया के बीच महकने दो
मीठी सी मुस्कान है बेटी
हर्षित पुलकित होने दो
इसको भी जीने का हक है
जग में आ जाने दो ।

~ कमलेश कौशिक
गुरुग्राम 106

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