यादें

September 3, 2016 in ग़ज़ल

बचपन साथ बहारें देखें
बड़े हुए बंटवारें देखें

फिर आँगन में धुप ना आयी
आँखे अब दीवारें देखें

चल फिर रेत के महल बनायें
और नदियों की धारें देखें

मंदिर में तो मिला नहीं रब
चल बच्चों को पुकारें, देखें

चल भाई अब गले मिलें हम
उम्र हुई तकरारें देखे

कत्ल हुआ तब बंद थीं लेकिन
खुलती खिड़की सारे देखें

कभी छाया कभी छाता बाबा
बारिश , गर्मी, जाड़ें देखें